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एक ओर, मानसून ठंडक और सुहानी हवाएँ लेकर आता है, वहीं दूसरी ओर नमी और गंदगी स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा देती है। इसका ख़ास तौर पर आँखों के स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है। इस मौसम में वातावरण में लगातार नमी रहने से बैक्टीरिया और वायरस तेज़ी से फैलते हैं, जिससे आँखों में जलन, खुजली, लालिमा और पानी आने जैसी समस्याएँ होती हैं। अगर सही तरीके से इलाज न किया जाए या देखभाल न की जाए, तो यह संक्रमण गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकता है।
यह संक्रमण ख़ास तौर पर आँखों की पुतलियों और आसपास के हिस्से को प्रभावित करता है। इससे 'कंजंक्टिवाइटिस', सूखी आँखों की समस्या और अन्य वायरल संक्रमणों का ख़तरा बढ़ जाता है। ऐसे समय में आँखों को नम रखना, स्वच्छता बनाए रखना और उचित उपाय करना बेहद ज़रूरी हो जाता है। दिन में दो-तीन बार साफ़ पानी से आँखें धोना, आँखों को छूने से पहले हाथ धोना, बिना डॉक्टर की सलाह के आईड्रॉप्स का इस्तेमाल न करना, ज़्यादा देर तक स्क्रीन के सामने न बैठना और बाहर जाते समय धूप का चश्मा पहनना, ये सभी आँखों को संक्रमण से बचाने में मददगार हैं।
आज के डिजिटल युग में, खासकर मानसून के दौरान, घर के अंदर रहने के कारण मोबाइल फोन, टीवी और लैपटॉप का इस्तेमाल बढ़ जाता है। इससे आँखों पर दबाव पड़ता है और उनमें सूखापन आ जाता है। इसके लिए ज़रूरी है कि समय-समय पर स्क्रीन से दूर रहकर अपनी आँखों को आराम दिया जाए। बरसात के मौसम में हवा और बारिश भी तेज़ होती है। ऐसे में बाहर जाते समय धूप का चश्मा पहनने से आपकी आँखों की सुरक्षा होती है। हवा में मौजूद धूल और प्रदूषणकारी कणों के आँखों में जाने की संभावना कम हो जाती है, और यह आपकी आँखों को यूवी किरणों से भी बचाता है।
आँखें शरीर का एक बेहद संवेदनशील अंग हैं और इनकी देखभाल करना हर किसी की ज़िम्मेदारी है। मानसून के दौरान ज़्यादा जागरूक रहकर हम आँखों के स्वास्थ्य को बनाए रख सकते हैं और संक्रमण से दूर रह सकते हैं। थोड़ी सी देखभाल और स्वच्छता की आदतें हमें आँखों की गंभीर समस्याओं से बचा सकती हैं।
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